OPPO और ViVO लेने से पहले इसे देख ले। OPPO और ViVO कचरा फ़ोन है।






 OPPO  और Vivo के मोबाइल ने बाजार को अपने बैनर और होर्डिंग से अच्छी तरह पाट दिया है। इन दोनों कंपनियों की अच्छी खासी सेलिंग होती भी है। लेकिन क्या वाकई ऐसे फोन आपको लेने चाहिए? और क्या कारण है कि दुकानदार सबसे पहले पहुचते ही आपके हाथ मे इन्ही दो कंपनियों के मोबाइल पकड़ा देता है। 
आइये जाने कि ये दोनों मोबाइल इतने बिकते क्यों है?





कारण नंबर एक:- 

(64,000 रुपये का iPhone 8 मात्र 8000 रुपए में खरीद सकते हैं. जानिए कैसे)



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जबरजस्त मार्केटिंग  सबसे पहले जानने वाली बात यह है कि इन दोनों कंपनियों का बाप एक ही है BBK Electronic इसलिए दोनों की मार्केटिंग हुबहू एक तरह की है। दुकानदार को ये कंपनियां15 से 16 परसेंट प्रोफिट देती हैं। जबकि दूसरी कंपनियां दुकानदारों को केवल 5 से 6 परसेंट ही प्रॉफिट देतीं है। यानी इसका मलतब ये हुआ कि ओप्पो वीवो का एक फोन बेचने पर उनको 3 फोन बेचने के बराबर फायदा होता है। अब अगर कोई दुकानदार आपको इन दोनों कंपनियों के मोबाइल खरीदने के लिए जोर दे तो समझ जाइये कि मसला क्या है

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प्रचार या advertisment :- ओप्पो वीवो की कंपनियां अपने नाम का होर्डिंग लगाने के अलग से पैसे देती है। यानी लगभग 20 से 30 हज़ार रुपये केवल होर्डिंग लगाने के मिल रहे है। चाहे मोबाइल बिके या न बिके।
कारण नंबर तीन:- 


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मेगापिक्सल के क्रेज़:- हम भारतीयों में मोबाइल के मेगापिक्सल का ऐसा चस्का लग गया है कि हम बाकी सब कुछ पूछे न पूछें लेकिन मोबाइल में मेगापिक्सल कितने का है ये ज़रूर पूछते हैं।
जनाब 50 से 60 हज़ार में बिकने वाला DSLR कैमरा में भी लगभग 12 मेगापिक्सल का कैमरा होता है। अच्छी फ़ोटो कई दूसरी चीजों पर भी निर्भर करती हैं। जैसे pixel size, अपर्चर etc. जिससे हम भारतीयों को कोई लेना देना नही होता।
दोस्तों ओप्पो और वीवो के सभी फोन खराब नही होते लेकिन जिस क़ीमत पर वो बिक रहे होते हैं उतने में कई दूसरे अच्छे फोन भी लिए जा सकते हैं।इसलिए अगली बार फ़ोन लेने जाएं तो अच्छी तरह जानकारी कर के ही जाएं

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